* वेद का निर्देश * तन्तुतन्वन रजसो भनुमन्विहि ,ज्योतिष्मत पथो रक्षा धियो कृतान I अनुल्वन वयत जोगुवामयो , मनुर्भव जनया दैव्यं जनम I --ऋग्वेद -१०/५३/६
भावार्थ --हे मनुष्य ! संसार के ताने -बाने को बुनता हुआ भी तू प्रकाश के पीछे चल I बुद्दि से परिष्कृत प्रकाशयुक्त मार्गो की तू रक्षा कर I निरंतर ज्ञान और कर्म के मार्ग पर चलता हुआ उलझन रहित कर्म का विस्तार कर तथा अपने पीछे दिव्य गुणयुक्त उत्तराधिकारी को जनम दे I इस प्रकार तू मनुष्य बन l
भावार्थ --हे मनुष्य ! संसार के ताने -बाने को बुनता हुआ भी तू प्रकाश के पीछे चल I बुद्दि से परिष्कृत प्रकाशयुक्त मार्गो की तू रक्षा कर I निरंतर ज्ञान और कर्म के मार्ग पर चलता हुआ उलझन रहित कर्म का विस्तार कर तथा अपने पीछे दिव्य गुणयुक्त उत्तराधिकारी को जनम दे I इस प्रकार तू मनुष्य बन l
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