शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

लोकतंत्र में असहमति पर दो टूक

प्रिये मित्रो, आज फिर लोकतंत्र मेंअसहमति के महत्व पर चर्चा शुरू हुई हैं। मैँ सुप्रीमकोर्ट और विधि आयोग के इस सुझाव से सहमत हूँ कि लोकतंत्र में वैचारिक भिन्नता, सरकार की आलोचना तथा देश/समाज के हालात पर बेबाक बोलना, विचार को किसी भी माध्यम से व्यक्त करना/प्रेषित करना अथवा ऐसे साहित्य को साथ रखना या वितरित करना अपराध या देशद्रोह की श्रेणी में नही आता। यह लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है। इससे इतर ऐसी किसी हरकत को जो सम्प्रभु राष्ट्र सत्ता को चुंनौति दे, मौजूद कानून-व्यवस्था को तार-तार करने का प्रयास करे या योजना बनाये, हथियार बंद होने की अपील करे और उनका संचय करे को किसी कीमत पर स्वीकार नही किया जा सकता।
कुछ नक्सलियों की हालिया गिरफ्तारी से यह विषय आज एकबार फिर देश के बुद्धिजीवियों को उद्वेलित कर रहा है। मैं इस संबंध में एक बेहतरीन चित्र को शेयर कर रहा हूँ। यह चित्र आज के हिंसाग्रस्त दुनिया का चित्र है। जिसमे आदमी के दिमाग में भरी अहंकार ,घृणा ,द्वेष और अशांति की आग तथा काले धुएं का बवंडर भयावह विनाश का संकेत दे रहा है। किसी विचार या कार्य से असहमति को यदि कोई व्यक्ति या समूह या संगठन अराजकता/हिंसा अथवा देश के सामाजिक ताने-बाने को क्षत-विक्षत करते हुवे व्यक्त करता है तो वह अस्वीकार्य है।

( Embrace Burns
This is the first piece of art to be engulfed in flames here at Burning Man.  They set
it off just after sunrise...  it was so amazing to watch.  I usually don't post two photos in a row of the same subject matter, but I think these two together show the ephemeral nature and the full alpha to omega of what happens here every year.)

शनिवार, 18 अगस्त 2018

एक किताब-ओस के रंग


मेरी छोटी बहन विकी आर्य की प्रकृति से मिली संवेदनाओं को समेटते कविता के लघु बांधो का यह तीसरी प्रकाशित पुस्तक है।
यूँ तो विकी आर्य बाल साहित्य के चित्रांकन, सोशल ऑब्जेक्टिव डॉक्यूमेंट्री व विज्ञापन की दुनिया का एक सिद्धहस्त नाम है किंतु उसने प्रकृति से मिली संवेदनाओं को अपनी कलाकृतियों और कविताओं में भी बखूबी उकेरा है।
बीएचयू से फाइन आर्ट में एमए गोल्डमैडलिस्ट हो कर उसने विज्ञापन व्यवसाय की दुनिया मे कदम रखा। धर्मयुग और नवभारत टाइम्स को अनेक चित्रों से सजाने से शुरू हुआ उनका कदम कलाओं की अनेक विधाओं में अपनी छाप छोड़ आगे बढ़ता रहा।
उत्तराखंड की आर्ट एकेडमी की पहली एग्जीबिशन में राज्यपाल सुरजीत बरनाला द्वारा मूर्ति शिल्प का प्रथम पुरस्कार मिला। गीतकार गुलज़ार ने अपने स्नेह से उन्हें नवाज़ा और प्रख्यात अभिनेत्री शबाना आज़मी के हाथों उनके पहले काव्य संग्रह कैनवास का वाचन और लोकार्पण हुवा।
रेमाधव जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशन से यह उनका तीसरा कविता संग्रह है जिसमे हिंदी के भावबिन्दु का इंग्लिश में रूपांतरण ममता गोविल ने किया है। पुस्तक ऐमेज़ॉन पर भी उपलब्ध है।
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बरसात के इस मौसम में जब धरा सज्वला हो हरीतिमा की चादर ओढ़ लेती है कहीं  किसी के आंसू भी बन जाती है, इसी को व्यक्त करती ये छह पंक्तियां-
कईं बार चाहा
कि बदल बन जाऊं
भिगो-भिगो कर धरती को
खिलखिलाऊँ
पर जब बरसा
तो आंखे उसकी नम करदी।
और क्या कर पाया मैं ?
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किसकी आंखों में है
स्वप्नों की कस्तूरी गंध ?
कि जंगल-जंगल हो जाने को
चाहता है मन।